Sunday, January 20, 2008

some fun in LAW class :)

है सुर्ख शोखियों सा ये सुर्सुराना तेरा
है सुर्ख वादियों में यूं लहराना तेरा
है शाम सी सर्द हवाए है आज ,
है पास तुम्हारे हम भी और साया है तेरा


वादियों में भी गुलाबों सी शोखी ,
रानायियों में भी वो यादों की गर्मी
है अआज चले है हम यूहीं जब कल चले थे युही ,
वो शाम कहती थी हम है तुम्हारे ,
वो शाम कहती है कहाँ है वो वादे तुम्हारे


आज फीर इन कोपलों में हम खो गए है ,
फीर आज इन हवायों में हम खो गए हैं
इस दर्द--दी की दास्ताँ तो सुने ,
हम आज फिर तनहा हो गए है

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