है सुर्ख शोखियों सा ये सुर्सुराना तेरा ।
है सुर्ख वादियों में यूं लहराना तेरा ।
है शाम सी सर्द हवाए है आज ,
है पास तुम्हारे हम भी और साया है तेरा ।
वादियों में भी गुलाबों सी शोखी ,
रानायियों में भी वो यादों की गर्मी ।
है अआज चले है हम यूहीं जब कल चले थे युही ,
वो शाम कहती थी हम है तुम्हारे ,
वो शाम कहती है कहाँ है वो वादे तुम्हारे ।
आज फीर इन कोपलों में हम खो गए है ,
फीर आज इन हवायों में हम खो गए हैं ।
इस दर्द-ए-दी ल की दास्ताँ तो सुने ,
हम आज फिर तनहा हो गए है।
है सुर्ख वादियों में यूं लहराना तेरा ।
है शाम सी सर्द हवाए है आज ,
है पास तुम्हारे हम भी और साया है तेरा ।
वादियों में भी गुलाबों सी शोखी ,
रानायियों में भी वो यादों की गर्मी ।
है अआज चले है हम यूहीं जब कल चले थे युही ,
वो शाम कहती थी हम है तुम्हारे ,
वो शाम कहती है कहाँ है वो वादे तुम्हारे ।
आज फीर इन कोपलों में हम खो गए है ,
फीर आज इन हवायों में हम खो गए हैं ।
इस दर्द-ए-दी ल की दास्ताँ तो सुने ,
हम आज फिर तनहा हो गए है।
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